आई नोट , भाग 4
अध्याय-1
एक बढ़िया ज़िंदगी
भाग-4
★★★
शख्स धीमे धीमे कदमों से अभिनव के पास जाते हुए अपनी कुल्हाड़ी पर पकड़ कस चुका था। पकड़ कस लेने के बाद उसने जोर से कुल्हाड़ी घुमाई और उसके उल्टे सीरे का वार सीधे अभिनव के सर पर किया। अभिनव कुल्हाड़ी के लगते ही फर्श पर जा गिरा।
उसने अपने दाएं हाथ को पीछे सर की तरफ किया और उसे संभाला, उसके सर से खून निकलने लगा था, अभिनव को अपने सर से निकलता हुआ गरम खून महसूस हुआ।
शख्स ने कुल्हाड़ी को नीचे की तरफ लटकाया और अपने मन में बोला “आप लोगों को मेरी दुनिया में ढलने और रबने में वक्त लगेगा। मैं कौन हूं कैसा हूं यह आप लोग धीरे-धीरे जानेंगे। हां यह बात तो मैं शर्तीया तौर पर कह सकता हूं की आप लोगों की नजरों में मैं अच्छा बिल्कुल भी नहीं रहने वाला, और मैं यह बात भी शर्तीया तौर पर कह सकता हूं की मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पता है मुझमें और लोगों में क्या खास बात है, मैं लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देता, और लोग मेरी बातों पर नहीं, इस वजह से हमारी अच्छी बनती है। लोग... लोगों की नजरों में मैं हीरो हूं।”
वह अपने कदमों को झुलाते हुए अभिनव की तरफ जाने लगा। अभिनव पलटा और अपनी आंखों को झपकाते हुए सामने आते शख्स को देखा। उसके होंठ और शरीर कांप रहा था।
अपनी इस अवस्था में अभिनव ने शख्स से कहा “मुझे... मुझे छोड़ दो... मैंने आखिर तुम्हारा क्या बिगाड़ा है....।”
“तो तुम क्या चाहते हो.... मैं तुम्हारे कुछ बिगाड़ने का इंतजार करूं...” शख्स बोला और हल्की हंसी हंसने लगा “अच्छे डॉक्टर हमेशा यही सलाह देते हैं की किसी भी बीमारी को उसके फेलने से पहले ही मिटा दो। निरोगी काया का यही राज है। मैंने डॉक्टर के इस ज्ञान पर अपने 500 रुपए खर्च किए हैं....अब वो युं ही तो नहीं किए। ” शख्स ने ऐसे कहा जैसे मानो वह कोई सीरियस बात कह रहा हो।
“तुम.... त...तुम... पागल हो। तुम्हारा... तुम पूरी तरह से सनकी हो।” अभिनव बोला और रोने लगा।
वहीं शख्स ने यह सुना तो उसका सीरियस अंदाज और भी ज्यादा सीरियस हो गया। अचानक उसके चेहरे के भाव बदले और उसने प्रतिक्रिया दिखाई। उसने तेजी से अभिनव की तरफ जाते हुए कुल्हाड़ी का पिछला सिरा सीधे माथे के बीचो-बीच मार डाला। खुन के छीटें निकले और दूर-दूर तक फैल गए। शख्स ने कुल्हाड़ी पीछे की तरफ ली और उसे दोबारा मारा। इसके बाद वह उसे एक के बाद एक मारता ही गया।
कुल्हाड़ी मारते मारते वह बोला “तुम चाहो तो मुझे कोई गंदी से गंदी गाली क्यों ना दे दो, मगर मुझे कभी सनकी मत कहना। मैं सनकी नहीं हूं...” उसने मारना बंद किया और अभिनव की कॉलर पकड़कर उसे ऊपर उठा लिया। अभिनव का चेहरा पूरी तरह से बिगड़ चुका था। यहां तक की वह मर भी चुका था। शख्स ने उसके चेहरे को अपने चेहरे के पास करके कहा “समझे तुम...! मैं सनकी नहीं हूं। आज के बाद मुझे कभी सनकी मत कहना।”
उसने अभिनव को नीचे की तरफ पक्का और वही पैर पसार कर बैठ गया। पैर पसार कर बैठने के बाद उसने दोबारा अपनी सिगरेट की डिब्बी और लाइटर निकाला और सिगरेट जला ली। सिगरेट जला कर उसने उसका एक लंबा कश लिया।
लंबा कश लेते हुए उसने दोबारा अभिनव की तरफ देखा और बोला, मगर अबकी बार उसका अंदाज पहले जैसा हो गया था, शांत और सिरियस “शायद अब इस बात की नौबत ही नहीं आएगी। तुम... तुम्हारे द्वारा कह गए यह शब्द तुम्हारे आखरी शब्द थे। भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दे..” वह मुस्कुराने लगा “और तुम ऊपर जाकर अपने दादा के साथ फूलों का कारोबार अच्छे से संभालो। काश तुम्हारे दादा ने तुम्हें फूलों का काम सिखाते वक्त यह भी सिखाया होता कि कभी दूसरों की पत्नी की तारीफ नहीं करते। और ऐसे काम भी नहीं करते जिससे दूसरों की पत्नी तुम्हारी तारीफ करने लगे। क्या पता कब किसके पति का दिमाग फिरे और वह आकर कुल्हाड़ी से उसे मार दे।”
शख्स बोलते बोलते वहीं फर्श पर लेट गया। उसने अपना एक हाथ फैला लिया जबकि दूसरे हाथ से उसका सिगरेट पीना जारी था।
इसी दौरान वह अपने मन मस्तिक के विचारों में डुबा और मन ही मन बोला “मेरी कहानी देखने वाले लोगों को मेरी कहानी में ज्यादातर दो ही चीजें देखने को मिलेगी। मेरा मेरी पत्नी के लिए प्यार, और हम दोनों के बीच में आने वाले शख्स की मौत, यह दोनों ही चीजें मेरी कहानी की खासियत है। बाकी मेरी असली जिंदगी की कहानी है... तो प्लॉटिंग व्लाटिंग गया भाड़ में। असली किस्सों मैं कभी यह नहीं देखा जाता कहानी कहां से शुरू हो रही है, और कैसे चलते हुए कहां जा रही है। असली किस्सों में हमेशा भावना की तरफ ध्यान दिया जाता है। इस चीज को देखा जाता है कि आखिर कहानी बताने वाले का नजरिया कैसा है। आखिर कहानी बताने वाला अपनो से प्यार कितना करता है। फिर उसके द्वारा किए गए कत्ल... अब कुछ अच्छे कामों को नजरअंदाज भी किया जा सकता है। उम्मीद करूंगा आप लोग भी मेरे इन अच्छे कामों को नजरअंदाज करेंगे। बड़े बुजुर्गों ने कहा है... खाली हाथ आए हो... खाली हाथ जाओगे। फिर इसके बाद भी क्यों किसी के फट्टे में टांग अड़ाना।”
तकरीबन 5 मिनट बीत जाने के बाद भी अभिनव के सर से खून निकल कर बह रहा था। मरने के बाद भी उसकी आंखें खुली हुई थी। चेहरे के लगभग चिथड़े निकल गए थे।
शख्स अपनी जगह से उठा और अपने हाथ में मौजूद सिगरेट को नीचे गिरा कर उस पर चप्पल रगड़ दी। चप्पल रगड़ने के बाद वह पार्टी हॉल के एक कोने की तरफ जाने लगा। वहां कोने पर ढेर सारी काले रंग की पॉलिथीन की बड़ी-बड़ी थेलिया पड़ी थी। शख्स ने उनमें से दो थैलियों को उठाया और उठाकर दीवारों पर लगे फूलों को उतारने लगा। फूलों को उतारने के बाद वह उसे थैलियों में भर रहा था।
शख्स अपने मन के बोला “पता है किसी का कत्ल करने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल कहां आती है, सबसे बड़ी मुश्किल आती है मारे गए शख्स की लाश ठिकाने लगाने में। सौ तरह के लफड़े होते हैं जो लाश ठिकाने लगाते वक्त सामने आते हैं। सबूत का लफड़ा, पुलिस का लफड़ा, जो बंदा मरा है उसके रिश्तेदारों का लफड़ा, उसके जान पहचान के लोगों का लफड़ा, अगर इसमें से किसी भी एक जगह पर गलती हो जाए तो मारने वाला इंसान पकड़ा जाता है। कत्ल करना बच्चों का खेल नहीं। बड़ों बड़ों को इस के चक्कर में मैंने फांसी लगते हुए देखा है। मेरे मामले में तो मैं अपनी किस्मत को अच्छा ही कहूंगा, आज तक ऐसा मौका नहीं आया जहां मैंने कोई गलती की हो। प्रैक्टिस मेकस मैन परफेक्ट। मुझे मेरी टीचर ने बताया था। बस उन्हीं के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मैंने यह हुनर सिखा। आज अगर वह जिंदा होते तो मेरे इस हुनर पर मुझे पक्का शाबाशी देते।”
उसने लगभग सभी फूलों को समेटकर लिफाफे में भर दिया था। दो लिफाफों में आसपास की सभी दीवारों के फूल आ गए थे।
फूलों को समेटने के बाद उसने उन्हें वही रखा और दोबारा उस तरफ गया जहां से काली पॉलिथीन की थैलियां उठाई थी। वहां थेलियों के पास ही क्लीनिंग का सामान था। उसमें ऐसिड की बोतलें, सर्फ की थैलियां, लिक्विड क्लीनर, और भी काफी सामान था। वाइपर भी वहीं पड़ा था। उसने वाइपर, लिक्विड क्लीनर, और एक ऐसिड की बोतल उठाई और लाश की तरफ जाने लगा।
लाश के पास पहुंचकर उसने एसिड की बोतल का ढक्कन खोला और उसे लाश के चेहरे पर गिरा दिया। इससे गर्म बुलबुले उठे जो खून में मिलते हुए चमड़ी को गलाने लगे। उसने चमड़ी को गलता हुआ छोड़ा और खुद निकल कर फर्श पर मौजूद खून को समेटने लगा।
खून समेटता हुए वह वापस अपनी मन मस्तिष्क की दुनिया में खुद से बोला “किसी इंसान को मारने के कई सारे तरीके होते हैं। मगर मैं जिस तरीके का इस्तेमाल करता हूं वह सबसे वाहियात होता है। ढेर सारा खून, लाश की बुरी हालत है, चेहरे का गलना, चमड़ी का गलना, कोई लड़की इसे देख ले तो उल्टियां कर करके फर्श भर दे। हालत तो लड़कों की भी खराब होने के चांस हैं। इसकी बजाय बाजार में किसी इंसान को मारने के और भी ढेर सारे तरीके हैं, सस्ते तरीकों में देखा जाए तो 10 रुपए के चूहे मारने वाली दवाई लाकर भी इंसान को मारा जा सकता है। नोट द पॉइंट.... कोई भी इसे अपने घर पर ट्राई मत करना। हर किसी की जिंदगी मेरी तरह कहानी का हिस्सा नहीं होती। फिर बेवजह अंधेरी कालकोठरी में जिंदगी गुजारोगो तो मुझे कोसते फिरोगे।”
खून को समेटने के बाद वह वापस गया और बाल्टी और कपड़ा ले आया। उसने कपड़े को समेटे गए खुन पर गिराया और उसे सोखते हुए बाल्टी में डालने लगा। उसने अपने मन मस्तिष्क में अपनी पहले वाली बात को आगे जारी रखते हुए कहा “दूसरे आसान तरीकों में महंगे जहर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अब जहर वाली मौत में यह फायदा होता है कि खून आदि का लफड़ा नहीं रहता। इंसान की काफी सारी मेहनत बच जाती है। बस सारा काम धाम सिर्फ और सिर्फ लाश ठिकाने लगाने का रह जाता है। जो कि इतना भी मुश्किल नहीं। मगर सिर्फ मेरे लिए.....”
उसने सारे खुन को समेटकर बाल्टी में डाला और फिर क्लीनर खाली फर्श पर गिरा दिया। क्लीनर गिराने के बाद उसने दोबारा वाइपर फेरना शुरू किया और फर्श पर मौजूद बचे हुए खुन को भी पूरी तरह से साफ करने लगा। उसे भी उसने कपड़े के जरिए सोखते हुए बाल्टी में डाल दिया। इस पूरे प्रकरण में उसने फर्श को इस तरह से साफ कर दिया था जैसे मानो कुछ हुआ ही न हो।
उसने बाल्टी उठाई और उसे पीछे रखते हुए फर्श को देखा। फर्श को देखते हुए वह बोला “वेल... लग तो नहीं रहा यहां किसी का खून हुआ है... बस इस लाश को नजरअंदाज कर दिया जाए तो।”
फर्श पर अब बस लाश ही एकमात्र ऐसी चीज थी जिससे यह पता लग रहा था कि यहां खून हुआ है। उसने दोबारा उस जगह का रुख किया जहां पॉलीथिन वाले खाली थैलियां पड़ी थी, वहां उसने थैलियों को एक तरफ किया और नीचे मौजूद पॉलीथिन का बड़ा लिफाफा निकाल लिया। यहां उसने लगभग हर एक काम की चीज रख रखी थी, हर एक वो काम की चीज जो उसे अपने उद्देश्यों को अंजाम देने के लिए चाहिए थी।
उसने बड़े लिफाफे को निकाला और निकाल कर वापस लाश के पास आ गया। लाश के पास उसने लिफाफे को फर्श पर बिछाया और फिर लाश को उसमें डाल कर लिफाफे को लपेटने लगा। लाश को लपेटने के बाद वह पॉलिथीन वाली जगह की ओर गया और वहां पहले से ही मौजूद रस्सियों में से कुछ रस्सियां ले आया। रस्सियों से उसने लिफाफे को बांध दिया।
सब करने के बाद उसने गहरी सांस ली और अपने हाथ झाड़े। हाथ जोड़ते हुए उसने अपने मन में कहा“उफफफ... कितना काम करना पड़ता है यार। फिर लोग कहते हैं क्राइम स्टोरी में किसी क्राइम को करना बस बाएं हाथ का खेल है। बस बंदे के सर पर मारो और बंदा खल्लाश। यह लोग लेखक की मेहनत के साथ साथ कहानी में क्राइम करने वाले बंदे की मेहनत पर भी पानी फेर देते हैं। खैर...” उसने अपनी घड़ी की तरफ देखा। तकरीबन सवा नौ होने को थें “ यह फालतू की बातें तो बाद में भी होती रहेगी.... काफी लंबी कहानी है। अभी तो मुझे बस लाश ठिकाने लगाने पर ध्यान देना होगा। मुझे 11:00 बजे से पहले घर भी जाना है.... मानवी इंतजार कर रही होगी... और मैं... मैं नहीं चाहता वो मेरा ज्यादा देर तक इंतजार करें।”
उसने घड़ी वाले हाथ को नीचे किया और दोनों हाथ जेब में डाल लिए। हाथों को जेब में डालने के बाद उसने अपने चेहरे पर शातिर मुस्कान दी। ऐसी शातिर मुस्कान जो उसके सनकी पन को दिखा रही थी। वो सच में सनकी ही था।
★★★
Sana Khan
03-Dec-2021 07:24 PM
Good
Reply
Seema Priyadarshini sahay
03-Dec-2021 06:27 PM
बहुत ही खूबसूरत लिखते हैं आप सर
Reply
BhaRti YaDav ✍️
29-Jul-2021 08:22 AM
Nice
Reply